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आपराधिक बल sentence in Hindi

pronunciation: [ aaperaadhik bel ]
"आपराधिक बल" meaning in English
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  • ३-धारा ३ ५ ४-में स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करने वाले के लिए दो वर्ष के कारावास व जुर्माने का प्रावधान है.
  • धारा-356: किसी की कोई सम्पत्ति चोरी करने की चेष्टा में अगर कोई व्यक्ति आपराधिक बल का प्रयोग करता है तो उसे दो साल की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है।
  • -अनुच्छेद 354 के तहत किसी महिला पर उसकी मर्यादा भंग करने के इरादे से उस पर हमले करने या आपराधिक बल प्रयोग करने पर 2 वर्ष की कैद की सजा या जुर्माना या दोनों के दंड का प्रावधान है।
  • पुलिस ने पीड़ित लड़की की शिकायत के आधार पर 28 नवंबर को शाह के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया था।
  • पुलिस ने पीड़ित लड़की की शिकायत के आधार पर 28 नवंबर को शाह के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल प्रयोग) के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया था।
  • उन्होंने बताया कि पीड़ित लड़की की शिकायत और उसके बयान के आधार पर शाह के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 354 (स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल प्रयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
  • उन्होंने बताया कि पीड़ित लड़की की शिकायत और उसके बयान के आधार पर शाह के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 354: स्त्री की लज्जा भंग करने की नीयत से उस पर आपराधिक बल प्रयोग: के तहत मामला दर्ज किया गया है.
  • उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ धारा 186 (लोक सेवक को अपना कर्तव्य निर्वाह करने से रोकने) और 353 (हमला या लोक सेवक को कर्तव्य निर्वाह करने से रोकने के लिए आपराधिक बल प्रयोग) के तहत मामला दायर किया गया है.
  • इस आरोप के बाद, आसाराम पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 509 (ऐसे शब्द, भाव, कार्य जिससे एक औरत का शील भंग होता हो) और 354 (औरत की अस्मत / इज्जत लूटने के लिए आपराधिक बल का प्रयोग) सहित यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम-पॉस्को के तहत मामला दर्ज कया है।
  • अभियुक्तगण के विरूद्व यह आरोप है कि दिनांक 27-5-2008 को समय 8. 00 बजे प्रातः स्थान बोराखेत थाना बेरीनाग जिला पिथौरागढ में अभियुक्त दुर्गा राम ने वादिनी श्रीमती चन्द्रा देवी की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर आपराधिक बल प्रयोग किया और जान से मारने की धमकी दी तथा अभियुक्ता गोबिन्दी देवी ने वादिनी को मारपीट कर स्वेच्छया साधारण उपहति कारित की और गाली गलौज कर अपमानित किया।
  • अभियोजन पक्ष को प्रथमतः अभियुक्त के विरूद्ध लगाये गये अभियोग, कि दिनांक 29.8.98 को समय लगभग 11 बजे कदन वादी मुकदमा गुलजार सिंह, अमीन लोक सेवक को उसके कर्तब्यों के निर्वाहन में भयोपरत करने के लिए उसपर आपराधिक बल का प्रयोग किया तथा बकायेदार जगबहादुर को विधि के अनुसार पकड़े जाने पर प्रतिरोध करके अभिरक्षा से छुडावा एवं गाली गुप्ता देकर अपमानित किया, के तथ्य को युक्ति-युक्त संदेह परे सत्य साबित करना है।
  • जैसा कि अभियुक्त राम सुन्दर के विरूद्ध यह आरोप विरचित किया गया है कि अभियुक्त ने दिनांक 18-9-98 को समय लगभग 11-00 बजे रात स्थान मकान राम सुचित स्थित बहद ग्राम जनुआडीह थाना फूलपुर जिला इलाहाबाद में वादी मुकदमा मातादीन के छोटे भाई राम सुचित की औरत श्रीमती सुशीला देवी की लज्जा भंग करने के आशय से उसके घर में घुसकर आपराधिक बल का प्रयोग किया गया एवं रात्रो प्रच्छन्न गृह अतिचार का अपराध कारित किया गया।
  • संक्षेप में अभियोजन का कथन इस प्रकार है कि दिनांक 29. 8.98 को समय करीब 11 बजे दिन बहद ग्राम सिंहपुर अन्तर्गत थाना शंकरगढ़, इलाहाबाद में अभियुक्त तिलकराज सिंह ने वादी मुकदमा गुलजार सिंह, अमीन लोक सेवक को उसके कर्तब्यों के निर्वाहन में भयोपरत करने के लिए उसपर आपराधिक बल का प्रयोग किया तथा बकायेदार जगबहादुर को विधि के अनुसार पकड़े जाने पर प्रतिरोध करके अभिरक्षा से छुडावा एवं गाली गुप्ता देकर अपमानित किया, जिससे लोक शान्ति भंग हुई।
  • दंड विधि संशोधन अधिनियम 2013 द्वारा अर्थदंड प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर निम्नलिखित अपराधों को संज्ञेय बनाया गया:-लोकसेवक द्वारा कानूनी निर्देशों की अवज्ञा करना, स्वेच्छा से अम्ल फेंकने का प्रयत्न करना, स्त्री की लज्जा भंग के आशय में हमला या आपराधिक बल का प्रयोग, लैंगिक संबंधों की मांग, अश्लील साहित्य दिखाना, निर्वस्त्र करने के आशय में स्त्री पर हमला या बल का प्रयोग, दृश्यरतिकता, पीछा करना, व्यक्ति का दुर्व्यापार, दुर्व्यापारिक बच्चे का शोषण प्राधिकार में किसी व्यक्ति द्वारा मैथुन, सामूहिक बलात्संग आदि।
  • पी0डब्ल्यू0-1 श्रीमती चन्द्रा देवी वादिनी ने अपने मुख्य परीक्षा में सशपथ बयानों में स्पष्ट रूप से कथन किया है कि दिनांक 27-5-08 की सुबह 8 बजे अभियुक्त दुर्गा राम व उसकी पत्नी गोबिन्दी देवी ने उसके निर्माणाधीन मकान के पास आकर उसे गाली गलौज व जान से मारने की धमकी नहीं दी और गोबिन्दी देवी ने उसके साथ मारपीट नहीं की और दुर्गा राम ने उसकी लज्जा भंग करने के आशय से उसके साथ कोई आपराधिक बल प्रयोग नहीं किया न ही उसकी बेईज्जती की।
  • अभियोजन की ओर से वादिनी श्रीमती चन्द्रा देवी को बतौर गवाह पी0डब्ल्यू0-1 परीक्षित कराया गया है जिसने अपने सशपथ बयान मे मुख्य परीक्षा में कहा कि ‘‘ दिनांक 27-5-08 की सुबह 8 बजे अभियुक्त दुर्गा राम व उसकी पत्नी गोबिन्दी देवी ने उसके निर्माणाधीन मकान के पास आकर उसे गाली गलौज व जान से मारने की धमकी नहीं दी और गोबिन्दी देवी ने उसके साथ मारपीट नहीं की और दुर्गा राम ने उसकी लज्जा भंग करने के आशय से उसके साथ कोई आपराधिक बल प्रयोग नहीं किया न ही उसकी बेईज्जती की।
  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354 के अपराध को परिवादनी की साबित करने के लिये अभियोजन को अपने साक्ष्यो से यह तथ्य साबित करना आवष्यक है कि अभियुक्त द्वारा लज्जा भंग करने के आषय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया था परन्तु वर्तमान प्रकरण मे अभियोजन द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है उससे अभियुक्त का न तो परिवादनी मंजू देवी की लज्जा भंग करने का आषय साबित होता है एवं न ही अभियुक्त द्वारा परिवादनी पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना ही साबित है।
  • भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354 के अपराध को परिवादनी की साबित करने के लिये अभियोजन को अपने साक्ष्यो से यह तथ्य साबित करना आवष्यक है कि अभियुक्त द्वारा लज्जा भंग करने के आषय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग किया गया था परन्तु वर्तमान प्रकरण मे अभियोजन द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है उससे अभियुक्त का न तो परिवादनी मंजू देवी की लज्जा भंग करने का आषय साबित होता है एवं न ही अभियुक्त द्वारा परिवादनी पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना ही साबित है।

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